PM मोदी के एक कॉल ने बदल दी जिंदगी: एके शर्मा के इन 4 कामों ने पलट दिया खेल, शपथ ग्रहण में पूरा गांव हुआ था शामिल

PM मोदी के एक कॉल ने बदल दी जिंदगी: एके शर्मा के इन 4 कामों ने पलट दिया खेल, शपथ ग्रहण में पूरा गांव हुआ था शामिल

बचपन से ही IAS बनने का था सपना

अरविंद के IAS बनने से पहले की तस्वीर

साल: 1979 जगह: काझाखुर्द गांव, मऊ
17 साल के अरविंद पढ़ने-लिखने के शौकीन थे। डीएवी कॉलेज से इंटर पास किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। पीएचडी भी की।

शुरू से ही अधिकारी बनने का सपना था। सिविल सर्विसेज की तैयारी की। सिलेक्ट हो गए।साल 1988 में IAS बनकर गुजरात चले गए।

अरविंद के IAS बनने के बाद की तस्वीर

अरविंद साल 2001 से 2014 तक लगातार रहे मोदी के साथ, गुजरात में 4 गेम चेंजर काम किए

पहला काम: गुजरात भूकंप के वक्त राहत कार्यों को टाइम से पूरा कर निभाया था मोदी का साथ

  • साल 2001, सुबह 8:45। गुजरात के कच्छ जिले के भुज में भूकंप आया। करीब 20 हजार लोगों की जान चली गई, हजारों लोग घायल हुए। इस समय वहां केशुभाई पटेल की सरकार थी।
  • राज्य की आर्थिक स्थिति पूरी डांवाडोल हो चुकी थी। राहत कार्यों में सुस्ती ने जनता को सरकार के खिलाफ कर दिया।
  • केशुभाई से इस्तीफा लेकर गुजरात की कमान मोदी के हाथों में सौंप दी गई। सीएम बनते ही मोदी की बड़ी चुनौती थी राहत कार्य को टाइम से पूरा करने की।
  • इस वक्त अरविंद शर्मा ने मोदी की मदद की। सभी राहत कार्यों को टाइम से पूरा किया। लोगों के रहने-खाने का इंतजाम किया।

दूसरा काम: अमरीका से रिश्ते सुधारने में की थी मोदी की मदद

  • साल 2002 में हुए गुजरात दंगों की वजह से अमेरिका और मोदी के रिश्तों में दरार आ गई थी। वीजा पर रोक लगी थी। मोदी 11 साल तक अमरीका नहीं जा पाए थे।
  • साल 2014 में अरविंद ही अमेरिकी एम्बेसडर नैंसी पावल को गांधीनगर लेकर आए थे। उसके बाद मोदी के साथ अमेरिका के रिश्ते सुधरने लगे।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ अरविंद

तीसरा काम: निवेश के लिए वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन

  • साल 2003 गुजरात को देश का बिजनेस हब बनाने के लिए वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन।
  • अरविंद शर्मा ही इस आयोजन के मेन प्लानर थे।
  • हर दो साल में इसका आयोजन किया जाता रहा। इसमें अरविन्द की प्रमुख भूमिका रही।

चौथा काम: गुजरात में टाटा फैक्ट्री लगवाना

  • साल 2008 सिंगूर, बंगाल। लेफ्ट की सरकार थी। टाटा कंपनी को नैनो बनाने के लिए जगह चाहिए थी। सरकार से मंजूरी भी मिल चुकी थी। तभी उस समय विपक्ष में रहीं ममता बनर्जी ने प्लांट बनाने के लिए उपजाऊ जमीन देने के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। लाठीचार्ज हुआ। टाटा के खिलाफ जगह-जगह विरोध हुए। बंगाल में प्लांट नहीं लग पाया।
  • कुछ दिन बाद रतन टाटा के फोन पर SMS आया। मैसेज मोदी ने भेजा था। उसमें लिखा था ‘सुस्वागतम’। उन्होंने टाटा को प्लांट लगाने के लिए गुजरात बुलाया। साणंद में प्लांट लगाना था। लेकिन जो जगह मिली वहां फैक्ट्री बनना कठिन था। जमीन का भी कानूनी पेंच फंसा।
  • इसको सॉल्व करने की जिम्मेदारी अरविंद पर आई। इस मुश्किल जमीन के मामले को उन्होंने सिर्फ कुछ हफ्तों में सॉल्व कर दिया। टाटा के ड्रीम प्रोजेक्ट नैनो की फैक्ट्री वहां बन गई।
जब अरविंद कुमार IAS अधिकारी थे

साल 2014 से 30 अप्रैल 2020 तक लगातार रहे पीएमओ में तैनात

  • 16 मई 2014: तय हुआ कि नरेंद्र मोदी अगले पीएम होंगे। अगले दिन अरविंद को मोदी का फोन आया कि उनको साथ दिल्ली चलना है। अरविंद मान गए।
  • 26 मई 2014: नरेंद्र मोदी ने पीएम पद संभाला।
  • 30 मई 2014: अरविंद को नियुक्ति पत्र मिल गया।
  • 3 जून 2014: अरविंद को जॉइंट सेक्रेटरी बनाया गया।

3 साल बाद…

  • 30 अप्रैल 2020: अरविंद को MSME मंत्रालय में सचिव बनाया गया।
  • 11 जनवरी 2021: अरविंद के रिटायरमेंट में दो साल बाकी थे, उससे पहले ही उन्होंने वीआरएस ले लिया।
  • 14 जनवरी 2021: रिटायरमेंट के 2 दिन बाद लखनऊ पहुंचे। उसी दिन भाजपा में हुए शामिल।

रिटायरमेंट के 2 दिन बाद जब भाजपा में हुए शामिल

डिप्टी सीएम बनने के लिए अरविंद के नाम की भी चर्चा थी

  • मार्च 2022 में हवा उड़ी कि इस बार यूपी में 3 डिप्टी सीएम होंगे। ये बात होते ही अरविंद के तीसरा डिप्टी सीएम बनने की बातों ने जोर पकड़ लिया।
  • पर आखिर में 2 ही डिप्टी सीएम बने। इसके लिए केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के नाम पर मोहर लगी।