*आज का पंचांग*
*दिनांक 21 जुलाई 2021*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत - 2078 (गुजरात - 2077)*
*शक संवत - 1943*
*अयन - दक्षिणायन*
*ऋतु - वर्षा*
*मास - आषाढ़*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वादशी शाम 04:26 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 06:30 तक तत्पश्चात मूल*
*योग - ब्रह्म शाम 04:12 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*राहुकाल - दोपहर 12:45 से दोपहर 02:24 तक*
*सूर्योदय - 06:09*
*सूर्यास्त - 19:20*
*दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत, वामन पूजा, जयापार्वती व्रतारम्भ (गुजरात)*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*प्रदोष व्रत*
*हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 21 जुलाई, बुधवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…*
*ऐसे करें व्रत व पूजा*
*- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।*
*- इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।*
*- पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।*
*- भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।*
*- भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।*
*ये उपाय करें*
*सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।*
*कैसे करें सुबह की शुरुआत गुरुपूनम के दिन*
*23 जुलाई 2021 शुक्रवार को गुरुपूनम है ।*
*इस दिन सुबह बिस्तर पर तुम प्रार्थना करना : ‘‘हे महान पूर्णिमा ! हे गुरुपूर्णिमा ! अब हम अपनी आवश्यकता की ओर चलेंगे । इस देह की सम्पूर्ण आवश्यकताएँ कभी किसी की पूरी नहीं हुर्इं । हुर्इं भी तो संतुष्टि नहीं मिली । अपनी असली आवश्यकता की तरफ हम आज से कदम रख रहे हैं ।''*
*उसी समय ध्यान करना । शरीर बिस्तर छोड़े उसके पहले अपने प्रियतम को मिलना । गुरुदेव का मानसिक पूजन करना । वे तुम्हारे मन की दशा देखकर भीतर-ही-भीतर संतुष्ट होकर अपनी अनुभूति की झलक से तुम्हें आलोकित कर देंगे। उनके पास उधार नहीं है, वे तो नगदधर्मा हैं ।*