Ajmer देरी महँगी साबित हुई, अनुरोध व्यर्थ गये, कई अभ्यर्थी परीक्षा से वंचित
अजमेर आरएएस (प्री) परीक्षा 2023 का पर्चा 11 बजे से शुरू होना था। परीक्षार्थियों को 10 बजे तक यानी 60 मिनट पहले परीक्षा केन्द्र में प्रवेश करना था। इसके बावजूद मानवता के नाते कुछ मिनट की छूट दी गई, लेकिन इसके बावजूद अभ्यर्थियों को ज्यादा देरी से आने व मिन्नतें करने के बावजूद केन्द्र में प्रवेश नहीं दिया गया।
इस कारण कई अभ्यर्थियों को निराश लौटना पड़ा।
एक ही नाम के दो स्कूलों से दुविधा
बी के कॉल नगर क्वीन मैरी स्कूल के बॉयज व गर्ल्स भवनों के दो परीक्षा केन्द्र थे। एक में बीके कौल नगर व दूसरा पंचोली चौराहा रामनगर था। कई अभ्यर्थियों में इसे लेकर असमंजस रहा। बाहर से आने वाले विद्यार्थी टेंपो में बीके कौल पहुंचे तो उन्हें वहां से रामनगर वाले क्वीन मेरी स्कूल में दौड़ लगानी पड़ी। इसी प्रकार सावित्री स्कूल व कॉलेज को लेकर भी संशय रहा। अभ्यर्थियों को दौड़-धूप करनी पड़ी। शहर में सुबह 8 बजे से मुख्य चौराहों, सड़कों पर तैनात पुलिसकर्मियों ने अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र का रूट, पता और वाहनों की आवाजाही की जानकारी दी। आयोग सहित सभी जिला प्रशासन ने परीक्षा में नकल और गड़बडिय़ां रोकने के लिए कड़े बंदोबस्त किए। सुबह 9 बजे से अभ्यर्थी परीक्षा केंद्र पहुंचना शुरू हो गए। यहां आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट अथवा वोटर आईडी कार्ड, ई-एडमिट कार्ड देखने और तलाशी के बाद ही उन्हें केंद्रों में प्रवेश दिया गया। आरएएस-प्री परीक्षा में रविवार को पिता-पुत्री ने बालोतरा में एक साथ परीक्षा दी। हालांकि दोनों का परीक्षा केन्द्र अलग था। जानकारी के अनुसार हाई सिक्योरिटी जेल के अधीक्षक पारस जांगिड़ व उनकी पुत्री पूजा ने परीक्षा दी। जेल अधीक्षक जांगिड़ ने बताया कि बेटी को परीक्षा की तैयारी करवाई थी तथा स्वयं भी पात्र थे तो परीक्षा में हिस्सा लिया। जांगिड़ 2006 बैच के अधिकारी हैं।
बी.के. कौल नगर विद्यालय के परीक्षा केन्द्र में बैठी योगिता वैष्णव (सांवतसर) की तबीयत परीक्षा शुरू होने के कुछ मिनट पहले खराब हो गई। इस पर महिला शिक्षक ने आवाज लगा कर उसके अभिभावक को बुलाया। संयोग से उसके पिता लाला वहीं मौजूद थे। उन्होंने दवा लाकर केन्द्र पर दी। बीके कौल नगर स्थित क्वीन मैरी स्कूल सेंटर पर परीक्षार्थियों के बैग आदि सामने बने एक मंदिर में रखे गए। मंदिर पुजारी ने टोकन देकर बच्चों के बैग रखवाए। एकाध केन्द्र् में गफलत से पेपर की गाड़ियां इधर-उधर पहुंच गई। बाद में उन्हें वापस सही केन्द्र पर भेजा गया।